आकर्षण का केंद्र बना हुआ है 25 किलो का कद्दू और 15 किलो की लौकी
श्रीवास्तव ने बताया कि पहली बार जशपुर में कॉफी की खेती भी की जा रही है। वहीं स्टाल में मौजूद उद्यानिकी विभाग के एसएस ठाकुर ने लौकी की प्रधान किस्म का जिक्र करते हुए कहा कि यह लौकी लगभग 15 किलो की है। उनका कहना था कि इसके साथ ही लौकी की कई किस्में 20-25 किलो तक होती हैं।
राष्ट्रीय कृषि मेले में उद्यानिकी विभाग के स्टॉल में कई प्रकार की साग-सब्जियां और फल लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इसके तहत गोभी, शिमला मिर्च, कोचई, पत्ता गोभी, टमाटर, भिंडी, भाटा, मूली शामिल हैं। बलौदाबाजार के किसान अनुज अग्रवाल की शिमला मिर्च की भी धूम मची हुई है।
वहीं नाशपत्ती की तरह की दिखने वाला एक प्रकार का फल चकोतरा भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बताया जाता कि ये फल छत्तीसगढ़ के प्राय: कई जिलों में पाया जाता है। देखने पर संतरा और रंग-रूप इसका नाशपत्ती की तरह है। वहीं जिमीकंद के आकार के कोचई में लोगों में कौतूहल का केंद्र रहा।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जोरा गांव में चल रहे राष्ट्रीय कृषि मेला, छत्तीसगढ़-2015 में किसानों के लिए खेती-किसानी से संबंधित जानकारियों का खजाना है। प्रदेशभर के किसान मेले के अंतिम दिन भी कृषि, पशुपालन, मछली पालन, उद्यानिकी और उससे जुड़े विभागीय स्टॉलों तथा कृषि उपकरणों, कृषि आदानों से संबंधित निजी कंपनियों के स्टॉलों में जाकर पूरी सजगता से हर बात की बारीक जानकारी लेते दिखे।
मेले में कृषि उपज मंडी बोर्ड, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय, बीज प्रमाणीकरण संस्था, अभियांत्रिकी विभाग, ग्रामोद्योग विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, राज्य गौसेवा आयोग, छत्तीसगढ़ दुग्ध महासंघ, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, जैविक खेती मिशन, बीज विकास निगम सहित अन्य निजी संस्थाओं के 150 स्टॉल लगे। किसानों ने मेले को बहुत उपयोगी और खेती-किसानी के लिए ज्ञानवर्धक बताया।
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